जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में सभी विभागों को मिले निर्देश
रिपोर्ट: शैलेश सिंह।
फाइलेरिया उन्मूलन अंतर्गत MDA–IDA 2025 कार्यक्रम की प्रगति और सफलता सुनिश्चित करने के लिए जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समन्वय समिति की दूसरी बैठक जिला समाहरणालय सभागार में आयोजित की गई।
कार्यक्रम की प्रगति पर हुई समीक्षा
बैठक के दौरान जिला भीबीडी पदाधिकारी डॉ. मीना कलुंडिया ने अब तक किए गए कार्यों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
वहीं जिला भीबीडी सलाहकार शशि भूषण महतो ने फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की वर्तमान स्थिति से समिति को अवगत कराया।
उपायुक्त के निर्देश
उपायुक्त ने सभी विभागों को अपने-अपने क्षेत्रों की समीक्षा करने और कम उपलब्धि वाले क्षेत्रों का भ्रमण कर दवा सेवन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
- इंकार करने वाले लोगों को पिरामल फाउंडेशन व अन्य विभागों के सहयोग से दवा सेवन के लिए प्रेरित करने को कहा गया।
- जागरूकता बढ़ाने हेतु नुक्कड़ नाटक, रात्रि चौपाल और पंचायत प्रतिनिधियों के सहयोग से प्रचार-प्रसार करने पर बल दिया गया।
अब तक की उपलब्धियां
- जिले में अब तक 61% लोगों ने दवा का सेवन किया है।
- स्कूलों में 2 लाख से अधिक बच्चों को दवा खिलाई गई है।
- सिविल सर्जन डॉ. मांझी ने बताया कि 572 उच्च जोखिम वाले गांवों में रात्रि चौपाल और फिल्म प्रदर्शन के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
- मजदूरों और किसानों को ध्यान में रखते हुए रात्रि में बूथ लगाकर दवा सेवन करवाया जा रहा है।
विभागीय समन्वय पर जोर
जिला भीबीडी पदाधिकारी ने बताया कि सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों ने ससमय अभियान की समीक्षा की है और कम कवरेज वाले क्षेत्रों में सुधार के निर्देश दिए हैं।
साथ ही, पंचायती एडवांसमेंट इंडेक्स की बैठक में भी सभी विभागों से अपील की गई कि वे दवा सेवन अभियान में सहयोग करें।
पिरामल फाउंडेशन को मिली जिम्मेदारी
उपायुक्त ने निर्देश दिया कि पिरामल फाउंडेशन जिला और प्रखंड स्तर पर प्रखंड विकास पदाधिकारियों के माध्यम से अन्य विभागों के साथ समन्वय कर अभियान को और प्रभावी बनाए।
साथ ही, 10 अगस्त से 25 अगस्त 2025 तक की उपलब्धि का आकलन कर यह तय करने को कहा गया कि क्या कार्यक्रम की अवधि बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया जा सके।
बैठक में उपस्थित अधिकारी
बैठक में मुख्य रूप से अनुमंडल पदाधिकारी, स्वास्थ्य विभाग, जेएसएलपीएस, शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग, कृषि विभाग, प्रखंड विकास पदाधिकारी, डीपीएम, डीपीसी, डीएएम, एनएचएम और पिरामल फाउंडेशन के अधिकारी शामिल हुए।