छोटानागरा में पसरा मातम, ग्रामीणों ने कहा—”यह हमारी अपूरणीय क्षति है”
रिपोर्ट: शैलेश सिंह
इलाज के दौरान कटक में निधन
सारंडा के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और छोटानागरा के धर्मरगुट्टू टोला निवासी मोहन हंसदा का 23 अगस्त को इलाज के दौरान कटक की एक हॉस्पिटल में निधन हो गया। इस खबर ने पूरे सारंडा को हतप्रभ और मर्माहत कर दिया है।
ग्रामीणों में अविश्वास और पीड़ा
तीन दिन पहले तक वे स्वस्थ और सक्रिय थे। गांव में लोग उन्हें चलते-फिरते, हंसते-बोलते देख चुके थे। अचानक उनके निधन की सूचना आने से ग्रामीणों को इस पर विश्वास करना मुश्किल हो रहा है। देर शाम आई यह खबर सुनते ही छोटानागरा और आसपास के इलाकों में गहरा सन्नाटा छा गया।
शव गांव लाया जा रहा है
उनके करीबी साथियों ने जानकारी दी कि मोहन हंसदा का शव सड़क मार्ग से छोटानागरा लाया जा रहा है। 24 अगस्त की अहले सुबह उनके पैतृक गांव पहुंचने के बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा।
समाज के लिए बड़ा नुकसान
मोहन हंसदा की मौत को ग्रामीणों ने सारंडा की अपूरणीय क्षति बताया। वे न केवल एक सामाजिक कार्यकर्ता थे बल्कि सारंडा की आवाज और जरूरतमंदों के सच्चे साथी भी थे।
संघर्ष और सेवा का सफर
- गरीबों और वंचितों की मदद में हमेशा आगे रहे।
- गांवों के विकास कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभाई।
- सरकारी योजनाओं को धरातल तक पहुंचाने में अहम भूमिका रही।
- प्रशासन और जनता के बीच मजबूत सेतु बने।
- वन और पर्यावरण को बचाने हेतु प्रयासरत रहे।
शिक्षा, नशामुक्ति और जागरूकता अभियान
मोहन हंसदा ने सारंडा में बेहतर शिक्षा के लिए लगातार प्रयास किए।
वे नशापान, अंधविश्वास और कुरीतियों के खिलाफ निरंतर अभियान चलाते रहे।
उनका सपना था कि सारंडा के बच्चे शिक्षा के जरिए एक बेहतर भविष्य गढ़ें।
शोक की लहर
उनकी असामयिक मौत की खबर से न केवल छोटानागरा बल्कि पूरा सारंडा शोक में डूब गया है।
लोगों की आंखों में आंसू हैं और होंठों पर बस एक ही सवाल—“अब हमारी आवाज कौन बनेगा?”
सिंहभूम हलचल न्यूज की श्रद्धांजलि
सिंहभूम हलचल न्यूज परिवार मोहन हंसदा को श्रद्धांजलि अर्पित करता है और उनके अधूरे सपनों को पूरा करने की सामूहिक जिम्मेदारी समाज के सामने रखता है।