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नाबालिग से दुष्कर्म मामले में न्याय: डेका मुण्डू को 23 साल की कठोर सजा

On: October 8, 2025 8:52 PM
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चाईबासा की अदालत ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, पोक्सो एक्ट के तहत मिली सजा

रिपोर्ट: शैलेश सिंह।
पश्चिम सिंहभूम जिले के बंदगाँव थाना क्षेत्र से जुड़े एक संवेदनशील मामले में न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के दोषी डेका मुण्डू उर्फ डेका मुण्डा को 23 वर्ष का कठोर कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय, चाईबासा के न्यायालय द्वारा 8 अक्टूबर 2025 को सुनाया गया।


क्या था मामला

यह मामला बंदगाँव थाना कांड संख्या-14/2022 से संबंधित है, जो 22 अप्रैल 2022 को दर्ज किया गया था।
एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 363, 376(3), 376(2)(एन), 504, 506 तथा पोक्सो एक्ट की धारा 4 और 6 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

अभियुक्त डेका मुण्डू उर्फ डेका मुण्डा, पिता मोसो मुण्डू, निवासी लोंगकाटा, थाना बंदगाँव, जिला पश्चिम सिंहभूम (चाईबासा) पर आरोप था कि उसने एक नाबालिग बच्ची के साथ जबरदस्ती दुष्कर्म किया।


पुलिस की त्वरित कार्रवाई

घटना की जानकारी मिलते ही चाईबासा पुलिस हरकत में आई और अभियुक्त को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया।
जांच के क्रम में पुलिस ने वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य एकत्र किए —

  • पीड़िता का चिकित्सीय परीक्षण,
  • डीएनए सैंपल,
  • गवाहों के बयान,
  • घटनास्थल से मिले भौतिक साक्ष्य।

इन सभी तथ्यों के आधार पर चाईबासा पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की, जिस पर न्यायालय में विचारण प्रक्रिया शुरू हुई।


न्यायालय का निर्णय

लंबी सुनवाई और साक्ष्यों के गहन परीक्षण के बाद, माननीय अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय, पश्चिम सिंहभूम, चाईबासा ने अभियुक्त डेका मुण्डू को दोषी पाया।
न्यायालय ने माना कि अभियुक्त ने एक नाबालिग बच्ची के साथ पोक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत गंभीर अपराध किया है।

इसके बाद अदालत ने उसे 23 साल कठोर कारावास की सजा दी और ₹25,000 का जुर्माना भी लगाया।
यदि अभियुक्त जुर्माना अदा नहीं करता है, तो उसे अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।


न्याय की जीत, पीड़िता को मिला साहस

यह फैसला न केवल पीड़िता के लिए न्याय का प्रतीक है, बल्कि समाज के लिए भी एक कड़ा संदेश है कि नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराध बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे
जिले की महिला एवं बाल सुरक्षा इकाई ने इस मामले में पीड़िता और उसके परिवार को कानूनी सहायता और परामर्श भी प्रदान किया।


पुलिस ने जताया संतोष

पश्चिम सिंहभूम पुलिस ने अदालत के इस निर्णय का स्वागत किया है।
जिला पुलिस प्रशासन ने कहा कि —

“यह फैसला हमारे समाज में नारी सम्मान की रक्षा के लिए एक मील का पत्थर है।
चाईबासा पुलिस ने मामले की जांच में कोई कमी नहीं छोड़ी और हर साक्ष्य को वैज्ञानिक तरीके से पेश किया।”


पोक्सो एक्ट की पृष्ठभूमि

पोक्सो (POCSO) यानी Protection of Children from Sexual Offences Act, 2012 — बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा देने के लिए बनाया गया कानून है।
इस कानून के तहत अपराध सिद्ध होने पर कठोर सजा का प्रावधान है, जिसमें न्यूनतम सजा 20 वर्ष तक की कैद और गंभीर मामलों में आजन्म कारावास तक दी जा सकती है।


संदेश समाज के लिए

यह फैसला इस बात का स्पष्ट संदेश देता है कि —

  • बच्चियों के साथ यौन अपराध करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा,
  • न्यायपालिका और पुलिस मिलकर ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

SINGHBHUMHALCHAL NEWS

सिंहभूम हलचल न्यूज़ एक स्थानीय समाचार मंच है, जो पश्चिमी सिंहभूम, झारखंड से सटीक और समय पर समाचार प्रदान करने के लिए समर्पित है। यह राजनीति, अपराध, मौसम, संस्कृति और सामुदायिक मुद्दों को हिंदी में कवर करता है।

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