सारंडा का नाबालिग तीन दिन भूखे-प्यासे भटकता रहा, तत्परता और मानवीय संवेदनाओं ने बचाई जान
गुवा संवाददाता।
22 अक्टूबर 2025 — बड़ानंदा, जगन्नाथपुर के पास एक नाबालिग बच्चा रास्ता भटककर दुकान के समीप असहाय अवस्था में बैठा मिला। बच्चे के चेहरे पर भय और थकान साफ झलक रही थी। उसी समय TRI के कार्यकर्ता दीपक ने उसे देखा और बिना देर किए मानवीय पहल करते हुए उसे कोटगढ़ पंचायत भवन लेकर पहुंचे।

कौन है यह बच्चा?
पूछताछ में नाबालिग ने अपना नाम सुकराम बुढ़मा (उम्र लगभग 12–15 वर्ष) बताया।
उसका कहना था कि वह बहदा गांव, तेंतलीघाट, छोटा नागरा पंचायत, मनोहरपुर प्रखंड का निवासी है।
उसने यह भी बताया कि वह जमशेदपुर से पैदल चलकर यहां तक पहुंचा है और तीन दिनों से भूखे-प्यासे भटक रहा था।
काउंसलिंग और तत्काल सहायता
घटना की सूचना JSLPS के कोटगढ़ GJC केंद्र को दी गई।
केंद्र की पैरालीगल सावित्री नायक ने बच्चे की काउंसलिंग की और उसकी स्थिति समझी।
बच्चे को:
- भोजन
- पानी
- प्राथमिक इलाज
उपलब्ध कराया गया क्योंकि वह बीमार और बेहद कमजोर नजर आ रहा था।
परिजन संपर्क में नहीं आए, बढ़ी चिंता
TRI टीम की सुष्मिता दीदी ने बच्चे के परिजनों से संपर्क साधने का प्रयास किया।
JSLPS की मैंजती, कुसुम और जेमा दीदी ने भी पूरी तल्लीनता से सहयोग किया।
लेकिन अगले दिन तक परिजन नहीं पहुंचे, जिससे बच्चा घर जाने की जिद करने लगा।

TSF टीम आई सामने — सुरक्षित भेजा गया घर
स्थिति को गंभीर समझते हुए सावित्री दीदी ने TSF सदस्य चंदन मिश्रा से संपर्क किया।
उन्होंने तत्काल वाहन की व्यवस्था कर बच्चे को सुरक्षित उसके गांव पहुंचवाया।
इस तरह सभी के सामूहिक प्रयास से नाबालिग अपने परिवार की गोद में लौट सका।
ग्रामीणों का आभार
स्थानीय ग्रामीणों व परिजनों ने:
✅ JSLPS की दीदियों
✅ TRI टीम
✅ TSF सदस्य
✅ पंचायत कर्मियों
सभी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया और कहा कि त्वरित मानवीय कार्य ने एक मासूम की जान बचाई है।
संवेदनाओं से मिला जीवन
यह घटना इस बात की मिसाल है कि यदि समाज में थोड़ी सी मानवता और तत्परता कायम रहे, तो किसी भी संकटग्रस्त व्यक्ति की जिंदगी पटरी पर लौट सकती है।















