बाहरी हस्तक्षेप से नाराज़ स्थानीय विधायक, सत्यम बिल्डर को दरकिनार करने की कोशिश ने योजना को लटकाया; विभागीय अभियंता की बलि तय मानी जा रही
रिपोर्ट: शैलेश सिंह
पश्चिमी सिंहभूम जिले में एक बार फिर टेंडर मैनेजमेंट की आंच अभियंताओं तक पहुंच चुकी है। मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के अंतर्गत मनोहरपुर के दीपा और कूड़ना के बीच कोयल नदी पर प्रस्तावित पुल निर्माण योजना अब सिर्फ एक तकनीकी या विकास परियोजना नहीं रही, बल्कि राजनीतिक दबाव और सियासी स्वार्थ का अखाड़ा बन चुकी है।
बाहरी दबाव में फंसी योजना
यह योजना जहां पूरी तरह से मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र से जुड़ी है, वहीं टेंडर प्रक्रिया में एक बाहरी “माननीय” द्वारा हस्तक्षेप कर अपने पसंदीदा ठेकेदार को काम दिलाने की कोशिश की जा रही है। इसी सियासी खींचतान के बीच संवेदक सत्यम बिल्डर को टेंडर प्रक्रिया से डिस्क्वालिफाई कर दिया गया, जिससे योजना लंबित होकर CS में NR (Not Recommended) कर दी गई है।
स्थानीय बनाम बाहरी प्रतिनिधि — असंतोष खुलकर सामने
स्थानीय विधायक और सांसद दोनों ने इस हस्तक्षेप पर अप्रत्यक्ष रूप से नाराज़गी जताई है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कार्यपालक अभियंता जितेन्द्र पासवान को न तो बाहरी माननीय को खुश करने का रास्ता दिख रहा है और न ही टेंडर मैनेज करने का दबाव सहन हो रहा है — यानी “एक ओर कुआं है तो दूसरी ओर खाई!”
DMFT की योजनाओं में भी घुसा सियासी संक्रमण
जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) की तीन योजनाओं में भी यही हाल है। सूत्र बताते हैं कि अयोग्य संवेदक को पास कराने के लिए अभियंताओं पर भारी दबाव बनाया जा रहा है, जिससे निविदा निष्पादन की प्रक्रिया ठप पड़ी हुई है।
CS अनुमोदन को लेकर दो विभागों में टकराव
ग्रामीण विकास विशेष प्रक्षेत्र के मुख्य अभियंता अवधेश कुमार से CS अनुमोदन नहीं कराने का दबाव खुद बिचौलियों द्वारा बनाया जा रहा है। वहीं, दूसरे विभाग के मुख्य अभियंता से इसी जिले के एक मामले में CS कराए जाने पर SHIRISHA CONSTRUCTION ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है।
जितेन्द्र पासवान को बलि चढ़ाने की तैयारी
सूत्रों की मानें तो माननीयों के अनुसार चलने से इनकार करने वाले जितेन्द्र पासवान को विभाग से हटाने और किसी पूर्व परिचित ST कोटे के अभियंता की तैनाती कराने की कोशिशें जोरों पर हैं। तीन माननीयों की लॉबी लगातार विभागीय मंत्री पर दबाव बना रही है, जबकि मंत्री खुद असमंजस में फंसे नजर आ रहे हैं।
झामुमो में भूचाल की आहट
मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र की योजना में बाहरी दखल के चलते झामुमो के अंदर असंतोष की लहर दौड़ चुकी है। यह विवाद धीरे-धीरे पार्टी के अंदर क्षेत्रीय वर्चस्व की लड़ाई का रूप ले सकता है। झामुमो सूत्रों की मानें तो सत्यम बिल्डर को दरकिनार करना कई वरिष्ठ नेताओं को रास नहीं आ रहा है, जबकि कुछ माननीयों द्वारा चंदेल कंस्ट्रक्शन को लाभ पहुंचाने की कोशिशें अवधेश कुमार जैसे अधिकारियों को असहज कर रही हैं।
मंत्री बनाम पूर्व मंत्री की रस्साकशी
पूर्व मंत्री भले ही वर्तमान में सरकार में न हों, लेकिन सरकार में उनकी हैसियत किसी “समानान्तर सत्ता” से कम नहीं मानी जाती। मंत्री और पूर्व मंत्री के बीच इस रस्साकशी में सबसे अधिक मार कार्यपालक अभियंता पासवान को झेलनी पड़ रही है।
सत्यम बिल्डर को फिर से टेक्निकल पास कराने की उठी मांग
अब खबर आ रही है कि सत्यम बिल्डर को एक बार फिर टेक्निकल पास कराने की कोशिशें चल रही हैं। यदि यह होता है, तो इस पूरी प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठ सकते हैं।
सांसद जोबा मांझी और जगत मांझी की चुप्पी पर उठे सवाल
मनोहरपुर पुल योजना को लेकर सांसद जोबा मांझी और जगत मांझी किसके समर्थन में खड़े हैं, यह फिलहाल रहस्य बना हुआ है। लेकिन दोनों की भूमिका को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज है।
निष्कर्ष: विकास की कीमत राजनीति से क्यों?
दीपा-कूड़ना पुल योजना विकास का प्रतीक हो सकती थी, लेकिन टेंडर मैनेजमेंट की सियासी दलदल में यह फंस चुकी है। यदि समय रहते विभागीय मंत्री और सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया, तो न केवल अभियंता पासवान बलि चढ़ेंगे, बल्कि योजनाएं वर्षों पीछे चली जाएंगी और जनता एक बार फिर मूलभूत सुविधाओं से वंचित रह जाएगी।
“टेंडर मैनेजमेंट नहीं विकास चाहिए!”
“माननीयों की मर्ज़ी से नहीं, नियमों की मर्ज़ी से चले सरकार!”