धनबाद जिले के बांसजोड़ा इलाके में मंगलवार रात एक अवैध कोयला खदान धंसने से 9 मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा उस समय हुआ जब मजदूर खदान में अवैध तरीके से कोयले का खनन कर रहे थे।
स्थानीय लोगों के मुताबिक हादसा रात करीब 10:30 बजे हुआ, लेकिन प्रशासनिक सहायता घंटों बाद पहुंची, जिससे बचाव कार्य में गंभीर देरी हुई।
अवैध खनन और भ्रष्टाचार के बीच प्रशासन पर गंभीर आरोप
ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्थानीय प्रशासन और खनन माफिया के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अवैध खनन की जानकारी पहले से थी, लेकिन सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत के कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई।
एक स्थानीय कार्यकर्ता ने कहा,
“यह सिर्फ हादसा नहीं है, यह भ्रष्टाचार से उपजा नरसंहार है। अधिकारी जानते थे कि खनन चल रहा है, लेकिन जानबूझकर नजरअंदाज किया गया।”
सरकार और प्रशासन पर विपक्ष का हमला
विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार की नाकामी पर सवाल उठाते हुए CBI जांच की मांग की है। उनका आरोप है कि खनन माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है और पुलिस-प्रशासन जानबूझकर चुप है।
झारखंड में अवैध खनन का अंधेरा सच
झारखंड भारत का लगभग 25% कोयला उत्पादन करता है, लेकिन इसके साथ ही अवैध खनन का जाल भी लगातार फैलता जा रहा है। मजदूरों को बिना सुरक्षा उपायों के खतरनाक खदानों में झोंक दिया जाता है।
एक सेवानिवृत्त खनन इंजीनियर ने बताया,
“यह हादसा सिस्टम की नाकामी का परिणाम है, जहां मुनाफा इंसानी जान से ऊपर हो गया है।”
मृतकों के परिजनों के लिए न्याय की मांग
घटना के बाद स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन मांग कर रहे हैं:
- मृतकों के परिजनों को ₹10 लाख का मुआवजा
- खनन माफियाओं की गिरफ्तारी और सख्त कार्रवाई
- अवैध खनन के खिलाफ विशेष टास्क फोर्स का गठन
धनबाद की यह घटना एक बार फिर यह दिखाती है कि भ्रष्टाचार और सरकारी लापरवाही किस तरह निर्दोष लोगों की जान ले रही है।