गुआ डाकघर घोटाले की जांच को लेकर पहुंचे वरीय डाक अधीक्षक उदय भान सिंह ने दिया भरोसा – पीड़ितों को मिलेगा न्याय
विशेष रिपोर्ट: संदीप गुप्ता एवं शैलेश सिंह
घोटाले की परतें खोलने गुआ पहुंचे वरीय डाक अधीक्षक
गुआ डाकघर में करोड़ों रुपये के फर्जी फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) घोटाले की जांच के लिए मंगलवार को सिंहभूम प्रमंडल, रांची के वरीय डाक अधीक्षक उदय भान सिंह खुद गुआ डाकघर पहुंचे। उन्होंने पूरे प्रकरण की प्राथमिक जांच की अगुवाई करते हुए पीड़ित खाताधारकों से मुलाकात की और मीडिया से बात करते हुए भरोसा दिलाया कि
“जिनका पैसा गबन हुआ है, उन्हें तीन माह के भीतर विभागीय प्रक्रिया के तहत पूरा पैसा वापस दिलाया जाएगा।”
10 खाताधारकों के ₹48.81 लाख गबन की पुष्टि
वरीय डाक अधीक्षक ने बताया कि अब तक 10 उपभोक्ताओं के साथ ₹48,81,516 की ठगी की पुष्टि हो चुकी है। उन्होंने कहा कि
“यह आंकड़ा शुरुआती है, जांच अभी जारी है और गबन की राशि और बढ़ सकती है। इस मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया जा चुका है।”
डाक में विश्वास बना रहे’, विभाग की पहली प्राथमिकता – उदय भान सिंह
गुआ डाकघर में मीडिया से बात करते हुए उदय भान सिंह ने कहा:
“हमारी प्राथमिकता सिर्फ दोषी को पकड़ना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि जिन ग्राहकों की बचत लूटी गई है, उन्हें हर हाल में न्याय मिले।
डाक विभाग पर लोगों का विश्वास बना रहना चाहिए, यही हमारी जवाबदेही है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि क्लेम फॉर्म भरवाकर ग्राहकों को पैसा दिलवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
संक्षेप में पूरा मामला – जब पोस्टमास्टर ही निकला ठग
गुआ डाकघर के तत्कालीन पोस्टमास्टर विकास चंद्र कुईला पर आरोप है कि उसने 2021 से 2024 के बीच दर्जनों ग्राहकों से फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) के नाम पर करोड़ों रुपये लिए और नकली पासबुक थमाकर फरार हो गया।
वह 20 जून को गुआ से चिड़िया डाकघर स्थानांतरित हुआ था, लेकिन वहां जॉइन नहीं किया और तभी से लापता है।
सवाल वही – जब डाकघर असुरक्षित हो जाए, तो पैसा कहां रखें?
घोटाले के सामने आने के बाद पूरे गुआ में हड़कंप मच गया है। लोग अपनी पासबुक लेकर डाकघर पहुंच रहे हैं और विभाग की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठा रहे हैं।
अधिकारियों पर भरोसा और कार्रवाई की उम्मीद
गुआ डाकघर पहुंचे वरीय अधीक्षक की मौजूदगी ने पीड़ितों को कुछ हद तक सांत्वना और उम्मीद दी है।
स्थानीय लोगों की मांग है कि:
- पोस्टमास्टर विकास कुईला को शीघ्र गिरफ्तार किया जाए
- गबन की गई रकम का ब्याज समेत भुगतान किया जाए
- डाक विभाग के अन्य जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो
उपसंहार – ‘अब आंखें बंद नहीं, जवाब दो!’
गुआ डाकघर स्कैम ने यह साबित कर दिया कि सिर्फ प्राइवेट ही नहीं, सरकारी संस्थानों में भी लापरवाही जानलेवा हो सकती है।
अब जबकि वरीय अधीक्षक खुद जांच में जुटे हैं, लोगों को उम्मीद है कि सिर्फ घोटाले का पर्दाफाश नहीं होगा, बल्कि पीड़ितों को न्याय और मुआवजा भी मिलेगा।
“तीन महीने के भीतर पैसा मिलेगा – वरीय अधीक्षक का वादा
और अब जनता चाहती है – वादा निभाया जाए, गुनहगार पकड़ा जाए!”