पूर्व उपाध्यक्ष ने सौंपा ज्ञापन, नगर पंचायत सरायकेला में करोड़ों की अनियमितता का आरोप
सरायकेला। संवाददाता
नगर पंचायत सरायकेला में प्रशासनिक भ्रष्टाचार का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। पूर्व उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने उपायुक्त सरायकेला-खरसावां को ज्ञापन सौंपते हुए नगर पंचायत के प्रशासक शेखर सुमन पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं और पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।
चौधरी ने आरोप लगाया कि नगर विकास विभाग द्वारा कार्यालय क्षमता संवर्धन के लिए दिए गए ₹50 लाख के बजट का दुरुपयोग कर गैर-ब्रांडेड व घटिया सामग्री बाजार से चार से दस गुना अधिक कीमत पर खरीदी गई। उदाहरणस्वरूप:
- ₹5,000 की गोदरेज अलमारी ₹50,000 में
- ₹80,000 का प्रिंटर ₹4 लाख में
- ₹5,000 की कुर्सी ₹30,000 में
- ₹10,000 का सोफा ₹70,000 में खरीदा गया।
उन्होंने दावा किया कि कई वस्तुएं कार्यालय में आज तक पहुँची ही नहीं, बावजूद इसके उनका भुगतान कर दिया गया।
टॉयलेट दरवाजे, घड़ी व उपकरणों में भी गड़बड़ी
ज्ञापन में कहा गया है कि पांच टॉयलेट दरवाजों के लिए ₹1.25 लाख खर्च किए गए, पर आज तक दरवाजे नहीं लगे। ₹25,000 की घड़ी भी कभी कार्यालय में नहीं दिखी। इसके अलावा, फ्रीज, इनवर्टर, पंखा, एलसीडी मॉनिटर आदि उपकरण भी बाजार दर से कई गुना महंगे खरीदे गए।
कर्मचारियों पर दबाव और जनता का शोषण
चौधरी ने प्रशासक पर अधीनस्थ कर्मचारियों पर अनैतिक कार्यों के लिए दबाव बनाने, उनके साथ दुर्व्यवहार और आम जनता को अवैध निर्माण और अतिक्रमण के नाम पर डराने का भी आरोप लगाया है। उनका कहना है कि कार्यालय में भय और भ्रष्टाचार का माहौल बन चुका है।
पहले भी विवादों में रहे प्रशासक
पूर्व उपाध्यक्ष ने ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया कि प्रशासक शेखर सुमन पूर्व से ही विवादों में रहे हैं और उनके कार्यकाल में नगर पंचायत की व्यवस्था चरमरा चुकी है। उपकरणों, डीजल, ट्रैक्टर-ट्रॉली और बिजली संबंधी खर्चों में भी भ्रष्टाचार के संकेत बताए गए हैं।
जांच व सख्त कार्रवाई की मांग
पूर्व उपाध्यक्ष ने उपायुक्त से मांग की है कि पूरे मामले की जांच बैठाई जाए और जांच पूरी होने तक प्रशासक को पद से हटाया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो सरकारी धन की लूट और जनता का शोषण जारी रहेगा।
जिला प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी निगाहें
यह मामला अब जिला प्रशासन के संज्ञान में है। अब देखना यह है कि उपायुक्त इस गंभीर मामले में क्या ठोस कदम उठाते हैं। नगरवासी और कर्मचारी अब न्याय और पारदर्शिता की उम्मीद लगाए बैठे हैं।