प्रगति महिला समिति ने नवरात्रि पर रचा सांस्कृतिक समागम, देर रात तक थिरकते रहे कदम
रिपोर्ट : शैलेश सिंह
नवरात्रि का पर्व भारतीय संस्कृति में सिर्फ आस्था और पूजा का ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक उत्सव और सामूहिक उमंग का भी प्रतीक है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए प्रगति महिला समिति, मेघाहातुबुरु ने 25 सितम्बर की रात सामुदायिक भवन प्रांगण में डांडिया नाइट का भव्य आयोजन किया। पारंपरिक वेशभूषा, गरबा और डांडिया की थाप तथा भक्तिमय गीतों पर थिरकते कदमों ने पूरे वातावरण को उल्लास से भर दिया।

दीप प्रज्वलन से हुआ शुभारंभ
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक रीति से दीप प्रज्वलन के साथ हुई। मुख्य अतिथि और महिला समिति की अध्यक्ष स्टेला सेलवम ने दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उनके साथ विशिष्ट अतिथियों के रूप में सुनीता सिंह, सुनीता थापा, सुषमा योगेश राम, पिंकी मनोज, रंजना प्रमोद, अंजू बासु, तोपती बर्मन, मुखिया लिपि मुंडा, जीरेन सिंकू, आरती गोराई, देवी माया और अंबिका महतो ने भी शुभारंभ में भाग लिया। दीप की लौ ने पूरे माहौल को पवित्रता और श्रद्धा से भर दिया।

नवरात्रि गीतों पर झूमी महिलाएं
दीप प्रज्वलन के बाद मंच पर रंगारंग प्रस्तुतियों की शुरुआत हुई। डांडिया और गरबा की पारंपरिक धुनों पर महिलाओं और युवतियों ने अलग-अलग समूहों में नृत्य प्रस्तुत किया। पारंपरिक परिधान में सजी महिलाएं जब चक्राकार घूमते हुए डांडिया की लय पर थिरक उठीं, तो दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी।
- किसी समूह ने देवी गीतों पर सुंदर गरबा किया।
- तो कहीं डांडिया की ताल पर युवतियों ने समन्वय का अद्भुत प्रदर्शन किया।
- मंच के सामने बैठी महिलाएं और बालिकाएं तालियों और जयकारों से कलाकारों का हौसला बढ़ाती रहीं।
देर रात तक गूंजता रहा डांडिया का उल्लास
कार्यक्रम रात गहराने तक चलता रहा। सामुदायिक भवन के प्रांगण में संगीत, रंग और ऊर्जा का अद्भुत संगम दिखाई दे रहा था। महिलाएं और बच्चियां पूरी मस्ती में झूम रही थीं। हर प्रस्तुति के बाद तालियों और उत्साह का शोर गूंजता। यह सिर्फ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि पूरे क्षेत्र की सामुदायिक एकता और उत्सवप्रियता का प्रतीक बन चुका था।

उपस्थित रही बड़ी संख्या में महिलाएं
इस मौके पर बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद रहीं, जिनमें सुमन मुंडू, तिलोत्तमा महतो, उषा रजक, सुजाता केशरी, शशि सिंकू, माधवी महतो, एल साहू, मेघा, कुसुम, रुचुस्मिता, सोमा सरकार, अमिता बारी, इशिका, मीनू महतो, पिंकी गुप्ता, पुर्णिमा, मोनिका सरकार और सूर्यमणि पूर्ति प्रमुख रूप से शामिल थीं। इन सबने एक साथ मिलकर नवरात्रि उत्सव को और जीवंत बना दिया।

नवरात्रि और डांडिया का महत्व
नवरात्रि सिर्फ पूजा-पाठ का पर्व नहीं, बल्कि नारी शक्ति के उत्सव का प्रतीक है। गरबा और डांडिया की परंपरा गुजरात से निकली, लेकिन आज यह पूरे भारत और विदेशों तक फैल चुकी है। डांडिया नाइट को देवी दुर्गा के पराक्रम और शक्ति की प्रतीकात्मक झलक माना जाता है।
- डांडिया की लाठी असुर शक्तियों पर वार का प्रतीक मानी जाती है।
- गरबा जीवन चक्र, ऊर्जा और देवी की महाशक्ति का उत्सव है।
मेघाहातुबुरु में आयोजित यह कार्यक्रम भी नवरात्रि की इसी भावना को जीवंत कर गया।
महिलाओं की सांस्कृतिक भूमिका
डांडिया नाइट का आयोजन महिला समिति ने किया और इसमें महिलाओं की अग्रणी भूमिका रही। इससे यह साफ दिखता है कि समाज में सांस्कृतिक आयोजनों को जीवित रखने में महिलाओं की अहम भागीदारी है। महिलाएं न सिर्फ नृत्य और उत्सव में शामिल हुईं, बल्कि आयोजन की हर जिम्मेदारी को भी बखूबी निभाया।

स्थानीय स्तर पर सांस्कृतिक प्रभाव
ऐसे आयोजन स्थानीय स्तर पर कई मायनों में महत्वपूर्ण होते हैं—
- सामुदायिक एकजुटता बढ़ती है।
- महिलाएं और युवतियां अपने कौशल का प्रदर्शन करती हैं।
- बच्चों और युवाओं को अपनी परंपरा से जुड़ने का अवसर मिलता है।
- क्षेत्र में सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक समरसता मजबूत होती है।
एक यादगार शाम
25 सितम्बर की रात मेघाहातुबुरु के लिए एक यादगार शाम बन गई। नवरात्रि की शुभ लहरियों के बीच आयोजित इस डांडिया नाइट ने यह संदेश दिया कि संस्कृति ही समाज की आत्मा है और जब महिलाएं उसे सहेजने में जुट जाएं तो उसका रंग और भी गहरा हो जाता है।















