गुवा व आसपास के क्षेत्रों में महिलाओं ने पूरे दिन रखा निर्जला उपवास, शिव-पार्वती की पूजा कर सुनी तीज कथा
गुवा संवाददाता।
सामूहिक श्रद्धा और आस्था का माहौल
गुवा एवं आसपास के क्षेत्रों में मंगलवार को हरितालिका तीज का पर्व सुहागिन महिलाओं ने पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया। महिलाओं ने सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना की और दिनभर निर्जला उपवास रखकर पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि की कामना की।
पूजा के दौरान मंदिरों और घरों में धार्मिक भजन-कीर्तन गूंजते रहे। संध्या के समय महिलाएं पारंपरिक श्रृंगार में सजी-धजी पूजा स्थल पर एकत्र हुईं और शिव-पार्वती की प्रतिमाओं के समक्ष दीप जलाकर व्रत कथा का श्रवण किया।
दूसरे दिन पति के हाथों से तोड़ेंगी व्रत
तीज व्रत कर रही महिलाओं ने बताया कि यह उपवास पूरी तरह निर्जला होता है। यानी पूरे दिन न तो भोजन ग्रहण किया जाता है और न ही जल। दूसरे दिन महिलाएं अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर उपवास तोड़ेंगी। इसे पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।
धार्मिक मान्यता और कथा
पूजा करा रहे पंडित लक्ष्मण उपाध्याय ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। वह तपस्या इतनी कठिन थी कि उन्होंने कई वर्षों तक निर्जला रहकर वन में शिव की साधना की। अंततः उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया।
पंडित उपाध्याय ने कहा –
“हरितालिका तीज का व्रत करने से पति की लंबी आयु, दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि और महिलाओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अविवाहित कन्याएं भी उत्तम वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं।”
श्रृंगार और परंपरा का संगम
इस मौके पर महिलाओं ने परंपरागत लाल-पीली साड़ी, चूड़ियां, सिंदूर और मेहंदी से सुसज्जित होकर पूजा में भाग लिया। सामूहिक गीतों और तीज के पारंपरिक भजनों से पूरा माहौल धार्मिक रंग में रंग गया।
सामाजिक एकता का प्रतीक
पूरे गुवा और आसपास के गांवों में महिलाओं का समूहिक एकत्रीकरण न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक रहा, बल्कि सामाजिक एकता और पारिवारिक सामंजस्य का संदेश भी देता दिखा। पूजा के उपरांत महिलाएं एक-दूसरे को प्रसाद बांटते हुए तीज की मंगलकामनाएं देती रहीं।