रिपोर्ट – शैलेश सिंह
इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मोहम्मद साहब के जन्म दिवस ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर 5 सितम्बर को बड़ाजामदा में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बड़े ही धूमधाम से शोभायात्रा निकाली। इस जुलूस में पुरुष, महिलाएं और बच्चे पारंपरिक परिधान में शामिल हुए। हाथों में हरे झंडे, तख्तियां और धार्मिक नारों के साथ निकली यह शोभायात्रा पूरे बड़ाजामदा क्षेत्र का भ्रमण करती हुई उड़ीसा के समवर्ती इलाकों तक पहुंची।
शोभायात्रा का दृश्य
सुबह से ही मस्जिदों में नमाज और दुआओं का दौर चला। इसके बाद लोग एकत्र होकर जुलूस की शक्ल में निकले। शोभायात्रा के दौरान जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए गए थे। कई स्थानों पर स्थानीय हिंदू समाज के लोगों ने भी आगे बढ़कर प्रतिभागियों का स्वागत किया और शीतल जल, शरबत एवं हल्की नाश्ते की व्यवस्था की। यह नजारा गंगा-जमुनी तहजीब का जीवंत उदाहरण था।
बच्चे मोहम्मद साहब की शिक्षाओं से संबंधित नारों वाली तख्तियां लिए हुए थे, वहीं महिलाएं भी बड़ी संख्या में अपने परिवार के साथ शामिल रहीं। ढोल-नगाड़े और धार्मिक गीतों से माहौल गूंजता रहा।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
ईद मिलादुन्नबी का त्योहार पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन की खुशी में मनाया जाता है। ऐतिहासिक रूप से माना जाता है कि इस दिन 570 ईस्वी में मक्का की पवित्र भूमि पर उनका जन्म हुआ था। मोहम्मद साहब ने पूरी दुनिया को शांति, भाईचारा, समानता और मानवता की शिक्षा दी। इस दिन को मुस्लिम समुदाय जुलूस, नमाज, कुरान ख्वानी और जरूरतमंदों की मदद करके मनाता है।
भारत में ईद मिलादुन्नबी का पर्व खास महत्व रखता है। मध्यकालीन इतिहास में दिल्ली सल्तनत और मुगलों के दौर से ही इस दिन पर विशेष आयोजन की परंपरा रही है। झारखंड जैसे खनन और औद्योगिक इलाकों में यह पर्व सामाजिक सौहार्द्र और एकता का प्रतीक बन चुका है।
सामाजिक संदेश
बड़ाजामदा की शोभायात्रा इस मायने में भी महत्वपूर्ण रही कि इसमें सभी वर्ग और आयु के लोग शामिल हुए। आयोजन समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि “पैगंबर मोहम्मद साहब का जीवन पूरी मानवता के लिए प्रेरणा है। उनका संदेश है कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है।”
वहीं स्थानीय लोगों का कहना था कि इस तरह के आयोजनों से आपसी भाईचारा बढ़ता है और समाज में शांति और सद्भावना का वातावरण बनता है।
प्रशासन की भूमिका
शोभायात्रा को लेकर प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पुलिस बल लगातार शोभायात्रा के साथ मौजूद रहा। ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए विशेष गश्ती की व्यवस्था की गई। इस कारण कार्यक्रम शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ।