ग्रामीणों पर बिजली चोरी का आरोप, बिना बिल और रसीद के वसूली – आक्रोशित ग्रामीण आंदोलन की चेतावनी
रिपोर्ट – शैलेश सिंह
बिजली का सपना बना अभिशाप
सारंडा जंगल क्षेत्र के गंगदा और छोटानागरा पंचायत अंतर्गत दर्जनों गांवों में बिजली पहुंचना कभी विकास की किरण माना गया था। लेकिन आज यही बिजली ग्रामीणों के लिए अभिशाप बन चुकी है। बिजली विभाग की मनमानी और शोषण से गरीब आदिवासी परिवार त्रस्त हैं।
“तार खींच लो, लाइट जला लो” – बिना कागज के कनेक्शन
कुम्बिया गांव के मुंडा सोमा चांपिया ने बताया कि लगभग दस वर्ष पूर्व गांव में जब बिजली आई, तब विभाग के कर्मचारियों ने ग्रामीणों से किसी प्रकार का कागजात नहीं लिया। न मीटर लगाया गया, न ही आधिकारिक कनेक्शन दिया गया। कर्मचारियों ने बस इतना कहा –
“अपने से तार खींच लो और कनेक्शन ले लो।”
ग्रामीणों ने मजबूरी में यही किया। पहले तो न बिजली बिल आया, न कोई हिसाब-किताब।
अचानक बिजली चोरी का केस
बीते महीने विभाग ने अचानक दर्जनों ग्रामीणों पर बिजली चोरी का आरोप लगाकर केस दर्ज कर दिया। गरीब ग्रामीणों को कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़े और किसी तरह बेल करानी पड़ी।
सोमा चांपिया का सवाल है –
👉 “जब हमने खुद मीटर मांगा और कागज देने की बात कही, तो क्यों नहीं दिया गया? अब अचानक हम पर चोरी का आरोप क्यों?”
450 से 7500 तक की वसूली – वो भी बिना रसीद!
ग्रामीणों का कहना है कि कुछ दिन पहले बिजली विभाग ने कहा कि 450 रुपये जमा करो, तभी बिजली जलाओ।
अब विभाग की मांग बढ़कर 7500 रुपये कर दी गई है।
गांववालों का आरोप है कि न तो कोई आधिकारिक बिल दिया गया, न कोई रसीद। सिर्फ पैसे जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है।
ग्रामीणों की मांग – मीटर दो, नियमित बिल भेजो
ग्रामीणों का कहना है कि वे बिजली चोरी के आरोपी नहीं बनना चाहते। वे चाहते हैं कि विभाग उनके घरों में मीटर लगाए, हर महीने बिल भेजे ताकि वे ऑनलाइन भुगतान कर सकें।
उनकी साफ मांग है – “सिस्टम से बिजली दो, हम वैध तरीके से बिल भरेंगे।”
मुखिया राजू शांडिल का बयान
गंगदा पंचायत के मुखिया राजू शांडिल ने बिजली विभाग को चेतावनी देते हुए कहा –
👉 “समस्या का समाधान सहानुभूति पूर्वक करें, न कि केस कर ग्रामीणों को परेशान करें।”
उन्होंने आरोप लगाया कि दुइया गांव में भी ग्रामीणों से मोटी रकम वसूली गई है, पर रसीद नहीं दी गई।
राजू शांडिल का कहना है –
👉 “सारंडा के गांवों में वैसे भी नियमित बिजली नहीं रहती। सरकार 200 यूनिट फ्री बिजली दे रही है, फिर भी ग्रामीणों से हजारों रुपये किसलिए वसूले जा रहे हैं?”
ग्रामीणों की आंदोलन की चेतावनी
ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि अगर समस्या का समाधान जल्द नहीं हुआ और विभाग इसी तरह केस कर दबाव बनाता रहा तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।
मुंडा सोमा चांपिया, बुधराम लागुरी, मनोज लागुरी, टिशू लागुरी, कूदा लागुरी समेत चुरगी, कुम्बिया, छोटा जमकुंडिया, राजबेड़ा और लेंब्रे गांवों के लोग इस बैठक में मौजूद थे और उन्होंने आंदोलन की रणनीति पर चर्चा की।
सवालों के घेरे में बिजली विभाग
- क्यों बिना कागजात और मीटर लगाए ग्रामीणों को कनेक्शन लेने पर मजबूर किया गया?
- क्यों अचानक बिजली चोरी का केस दर्ज किया गया?
- बिना रसीद के हजारों रुपये की वसूली किस आधार पर की जा रही है?
- जब सरकार 200 यूनिट मुफ्त बिजली दे रही है तो फिर यह लूट क्यों?
निष्कर्ष
सारंडा के आदिवासी गांवों की यह कहानी महज बिजली का मामला नहीं है, बल्कि विकास योजनाओं की असलियत का आईना भी है। जहां बिजली विभाग की लापरवाही और शोषण ने गरीब ग्रामीणों को अपराधी बना दिया है।
अगर हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले दिनों में यह मामला केवल बिजली का नहीं, बल्कि बड़े जनआंदोलन का रूप ले सकता है।