भूमि अधिग्रहण पर मुआवजा और खरसावां पेयजल योजना में देरी का मुद्दा गरमाया
रिपोर्ट – सरायकेला संवाददाता
दशरथ गागराई ने उठाए सवाल
झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र (26 अगस्त 2025) के दौरान सरायकेला-खरसावां जिले से जुड़े दो महत्वपूर्ण मुद्दे सदन में गूंजे। विधायक श्री दशरथ गागराई ने भूमि अधिग्रहण में किसानों को मिल रहे मुआवजे और खरसावां जलापूर्ति योजना की देरी पर सरकार से तीखे सवाल पूछे।
भूमि अधिग्रहण: नया कानून लागू, चार गुना मुआवजा प्रावधान
गागराई ने पहला सवाल किया कि क्या कुचाई प्रखंड में भू-अर्जन अब भी पुराने कानून (1894) के तहत किया जा रहा है और किसानों को कम मुआवजा मिल रहा है।
सरकार का जवाब –
- पुराने कानून को 1 जनवरी 2014 से खत्म कर दिया गया है।
- अब भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 लागू है।
- इस कानून के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में चार गुना अधिक मुआवजा और शहरी क्षेत्रों में दो गुना अधिक मुआवजा दिया जाता है।
- कुचाई प्रखंड में भी भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया इसी कानून के अनुरूप की जा रही है।
सरकार ने साफ किया कि किसानों को अब नये दर से ही मुआवजा दिया जा रहा है।
खरसावां पेयजल योजना: 5 साल बाद भी अधूरी
गागराई ने दूसरा सवाल खरसावां और आसपास के गांवों की जलापूर्ति योजना को लेकर उठाया। उनका आरोप था कि 8 करोड़ रुपये की लागत वाली योजना को 5 साल में भी पूरा नहीं किया गया।
सरकार का जवाब –
- योजना की प्रशासनिक स्वीकृति राशि ₹903.13 लाख (लगभग 9 करोड़ 3 लाख) है।
- योजना की डेडलाइन 30 जून 2023 थी।
- अब तक योजना का लगभग 85% कार्य पूरा हो चुका है।
- Intake well – 95%
- RWRM – 100%
- WTP – 80%
- ESR – 88%
- Distribution – 75%
- 1934 घरों में नल-जल कनेक्शन का लक्ष्य था, जिसमें से अब तक 1418 घरों में कनेक्शन दिया जा चुका है।
धन की कमी से रुका काम
सरकार ने माना कि योजना का काम बहुत धीमी गति से चल रहा है।
- 2024-25 में जल जीवन मिशन के तहत केंद्र से मात्र 70 करोड़ रुपये मिले।
- चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में अब तक केंद्र से एक भी रुपया नहीं मिला।
- यही वजह है कि योजना की गति लगभग “थम सी गई है।”
विपक्ष का हमला और ग्रामीणों की उम्मीद
गागराई ने सवाल किया कि जब सरकार दावा करती है कि किसानों और ग्रामीणों को पारदर्शी मुआवजा और शुद्ध पेयजल देना प्राथमिकता है, तो योजनाएं अधूरी और धीमी क्यों हैं?
वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि कागज़ पर मुआवजा और पेयजल की गारंटी है, लेकिन जमीनी स्तर पर अब भी न तो पर्याप्त मुआवजा मिला है और न ही गांवों तक शुद्ध पानी।
निष्कर्ष
सरायकेला-खरसावां के दोनों सवालों ने एक बार फिर सरकार की विकास योजनाओं की रफ्तार और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
- भूमि अधिग्रहण में मुआवजे का मुद्दा किसानों के लिए बड़ी उम्मीद और संघर्ष दोनों बना हुआ है।
- वहीं खरसावां जलापूर्ति योजना अधूरी रहने से ग्रामीणों की प्यास अब भी नहीं बुझ पाई है।
अब देखना होगा कि सरकार कब तक इन दोनों सवालों का जमीनी समाधान निकाल पाती है।