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नर्सिंग इस्पात प्राइवेट लिमिटेड की जनसुनवाई का ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों ने किया बहिष्कार

On: August 30, 2025 3:40 PM
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कंपनी पर अतिक्रमण, प्रदूषण, मजदूरों का शोषण और सीएसआर फंड की अनदेखी के गंभीर आरोप

रिपोर्ट: शैलेश सिंह।
सरायकेला-खरसावां जिले के खूंटी गांव में नर्सिंग इस्पात प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के विस्तार प्रस्ताव को लेकर आयोजित जनसुनवाई विवादों में घिर गई। कंपनी परिसर के भीतर लगाए गए टेंट में जनसुनवाई होने पर जिला परिषद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्यों और स्थानीय ग्रामीणों ने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि कंपनी ने जानबूझकर किसी सार्वजनिक या सरकारी भवन की जगह अपने परिसर में कार्यक्रम आयोजित किया, ताकि आम जनता और ग्राम प्रधान की आवाज दबाई जा सके।


जनप्रतिनिधियों ने जताई कड़ी नाराजगी

जिप अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कंपनी प्रबंधन को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि नर्सिंग इस्पात कंपनी न तो सीएसआर फंड से स्थानीय लोगों को कोई लाभ देती है और न ही मजदूरों को सरकारी नियमों के मुताबिक वेतन, पीएफ, ईएसआई और सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराती है।

स्थानीय ग्रामीणों और जमीनदाताओं ने पहले कंपनी को यहां स्थापित करने की सहमति दी थी, लेकिन उनकी उम्मीदें पूरी तरह टूट चुकी हैं। कंपनी ने छात्रों, मजदूरों और आम लोगों के साथ धोखा किया है, जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


“कंपनी विस्तार का विरोध नहीं, लेकिन नियमों का पालन जरूरी”

जनप्रतिनिधियों ने साफ किया कि वे उद्योग या कंपनी स्थापना के विरोधी नहीं हैं, लेकिन यह सब सरकारी नियमों और स्थानीय जनभावनाओं को ध्यान में रखकर होना चाहिए। उनका कहना है कि कंपनी की वर्षों से शिकायतें होती आ रही हैं लेकिन विभागीय जांच के बाद भी आज तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई।


ग्रामीणों और नेताओं ने उठाए सवाल

बैठक और विरोध प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों ने कंपनी और प्रशासन पर कई सवाल खड़े किए—

  1. अतिक्रमण का आरोप – क्या विभाग ने 10.12 एकड़ वन भूमि और 0.55 एकड़ सरकारी भूमि पर कंपनी द्वारा किए गए अतिक्रमण को मुक्त कराया?
  2. पानी चोरी का आरोप – क्या पालना डेम की सिंचाई नहर से कंपनी द्वारा अवैध रूप से पानी लिया जा रहा है? इसके लिए कोई वैध कागजात हैं?
  3. प्रदूषण की समस्या – कंपनी से निकलने वाली धूल, नाइट्रिक ऑक्साइड और सोडियम डाइऑक्साइड से आसपास का इलाका प्रदूषित हो रहा है। क्या वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट प्लान वन विभाग को दिया गया?
  4. सार्वजनिक रास्ते पर कब्जा – क्या कंपनी ने ग्रामीणों के रास्ते पर कब्जा कर लिया है?
  5. मजदूरों की सुरक्षा – क्या कंपनी एंबुलेंस, सुरक्षा उपकरण और 10 किलोमीटर के दायरे में ईएसआई अस्पताल उपलब्ध कराती है?
  6. दुर्घटनाओं पर सवाल – कंपनी परिसर में होने वाली मजदूरों की दुर्घटनाओं पर क्या व्यवस्था है?
  7. जहरीली गैस का रिसाव – कई बार गैस लीक से ग्रामीण बीमार हुए, इस पर कंपनी की आगे की योजना क्या है?
  8. मजदूरों का हक – क्या सभी मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी, पीएफ, शुद्ध पेयजल, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सुविधाएं दी जाती हैं?
  9. सीएसआर का हिसाब – कंपनी ने आसपास के गांवों के लिए सीएसआर फंड से अब तक क्या कार्य किया, इसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया?

“सिर्फ विस्तार नहीं, पहले पारदर्शिता जरूरी”

ग्रामीणों का कहना है कि वे उद्योगों के विरोधी नहीं हैं, लेकिन किसी भी कंपनी की स्थापना या विस्तार स्थानीय जनता की सहमति, सरकारी प्रावधानों और पारदर्शिता के साथ होना चाहिए। कंपनी की मनमानी और अनियमितताओं को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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सिंहभूम हलचल न्यूज़ एक स्थानीय समाचार मंच है, जो पश्चिमी सिंहभूम, झारखंड से सटीक और समय पर समाचार प्रदान करने के लिए समर्पित है। यह राजनीति, अपराध, मौसम, संस्कृति और सामुदायिक मुद्दों को हिंदी में कवर करता है।

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